भोग विलास, प्रेम, धन, समृद्धि, आनंद व भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक है शुक्र। अध्यात्म, योग, आयुर्वेद, अलगाव, एक्सीडेंट, चोट व संन्यास का कारक है केतु। यदि आपकी भी पत्रिका में है शुक-केतु की युति तो हो सकते हैं ये प्रभाव। सांसारिक मामलों के लिए ख़राब होती है शुक्र-केतु की युति। इस...