शाहिन बाग पहुंचे शांतिदूत, क्या अब रास्ता होगा खाली?
CAA के खिलाफ शाहिन बाग में चल रहे विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में शाहिन बाग का मसला अब देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट की चार दिवारी की अंदर हैं।
CAA के खिलाफ शाहिन बाग में चल रहे विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में शाहिन बाग का मसला अब देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट की चार दिवारी की अंदर हैं। जहां से अब तय होगा कि शाहिन बाग में हो रहे विरोध का ठहराव क्या है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव होने से पहले शुरु हुए शाहिन बाग अब देश की हर व्यक्ति के जुबान पर हैं। शाहिन में महिलाओं को बैठे हुए अब लगभग दो महीने का दिन हो रहा है। यहां बैठी महिलाए नागरिकता संशोधन कानून को काला कानून बता कर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं।
अभी आप ने देखा होगा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान किस तरह से शाहिन बाग में गोली कांड हुआ था। जिसमें एक युवक बंदूक लेकर महिलाओं के प्रदर्शन पांडाल में पहुंच गया था।
ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए 3 वार्ताकारों को शाहिन बाग में जाकर बातचीत करने के लिए भेजा है।
जाहिर है कि वार्ताकारों की नियुक्ति वकील अमित साहनी द्वारा शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी महिलाओं को हटाने को लेकर दायर जनहित याचिका के मद्धेनज़र की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ये लोग गैरकानूनी तरीके से सड़क पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में दिल्ली से नोएडा का रास्ता बंद हो गया है।
ऐसे में अब देखना होगा कि राजनीतिक गतिविधियों के बाद क्या कोई रास्ता सुप्रीम के द्वारा निकलता है या फिर शाहिन बाग जैसे मुद्दों पर सिर्फ राजनीति ही होती रहेगी।