राहु ग्रह को माया का ग्रह कहा जाता है क्योंकि यह एक पाप ग्रह है और बुद्धि को भ्रमित करने की योग्यता में निपुण होता है। ज्योतिष में राहु दैत्य है जिसके कारण वह अपनी माया द्वारा सभी को प्रभावित करने में सफल होता है। राहु का प्रभाव जब भी जीवन में पड़ता है तो जातक के भीतर भी एक भ्रम और माया का आवरण छाने लगता है। राहु के प्रभाव के कारण व्यक्ति अपने आस-पास की चीजों को भी उचित रुप से नहीं समझ पाता है। वह उलझनों में अधिक उलझा रहता है। राहु का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है और इस कारण इसे छाया ग्रह भी कहा गया है। यही छाया माया के रुप में व्यक्ति को घेरे रहती है।