Bible Study By Bahira Omar
स्वर्गदूतो के विषय मे बाइबल क्या कहती है?
दुष्टात्माओं के बारे मे बाइबल क्या कहती है?
शैतान कौन है?
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स्वर्गदूतो के विषय मे बाइबल क्या कहती है?
7 फिर स्वर्ग पर लड़ाई हुई, मीकाईल और उसके स्वर्गदूत अजगर से लड़ने को निकले, और अजगर ओर उसके दूत उस से लड़े।
8 परन्तु प्रबल न हुए, और स्वर्ग में उन के लिये फिर जगह न रही।
9 और वह बड़ा अजगर अर्थात वही पुराना सांप, जो इब्लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमाने वाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया; और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।
10 फिर मैं ने स्वर्ग पर से यह बड़ा शब्द आते हुए सुना, कि अब हमारे परमेश्वर का उद्धार, और सामर्थ, और राज्य, और उसके मसीह का अधिकार प्रगट हुआ है; क्योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगाने वाला, जो रात दिन हमारे परमेश्वर के साम्हने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया।
11 और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली।
12 इस कारण, हे स्वर्गों, और उन में के रहने वालों मगन हो; हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है॥
प्रकाशित वाक्य 12
स्वर्गदूतो के विषय मे बाइबल क्या कहती है?
स्वर्गदूत व्यक्तिगत् आत्मिक प्राणी होते हैं जिनके पास बुद्वि, भावनाएँ और इच्छा होती है। भले और बुरे दोनों प्रकार के स्वर्गदूतों के साथ ऐसा सत्य है। स्वर्गदूत बुद्वि रखते हैं (मत्ती 8:29; 2 कुरिन्थियों 11:3; 1 पतरस 1:12), भावनाएँ प्रगट करते हैं (लूका 2:13; याकूब 2:19; प्रकशितवाक्य 12:17), और अपनी इच्छा का उपयोग करते हैं (लूका 8:28-31; 2 तीमुथियुस 2:26; यहूदा 6)। स्वर्गदूत आत्मिक प्राणी (इब्रानियों 1:14) वास्तविक भौतिक शरीर से रहित होते हैं। हांलाकि, उनके पास भौतिक शरीर नहीं होते, फिर भी वह व्यक्तित्व को रखते हैं।
क्योंकि स्वर्गदूत सृष्टि किए हुए प्राणी हैं, इसलिए उनका ज्ञान सीमित होता है। इसका अर्थ यह है कि वह सब कुछ नही जानते जैसे कि परमेश्वर जानता है (मत्ती 24:36)। ऐसा प्रतीत होता है कि उनके पास मनुष्यों से अधिक ज्ञान है, हांलाकि, ऐसा तीन बातों के कारण सत्य भी हो सकता है। पहला, स्वर्गदूतों को मनुष्य से ऊँचें स्तर का बनाया गया था। इसलिए, वह स्वभाविक तौर से अधिक ज्ञान रखते हैं। दूसरा, स्वर्गदूत बाइबल का और इस संसार का अध्ययन अधिक गहराई से करते हैं और उससे ज्ञान प्राप्त करते हैं (याकूब 2:19; प्रकाशितवाक्य 12:12)। तीसरा, स्वर्गदूत मनुष्यों की गातिविधियों के लम्बे अवलोकन के द्वारा ज्ञान प्राप्त करते हैं। मनुष्य के विपरीत स्वर्गदूतों को भूतकाल का अध्ययन नहीं करना पड़ता है; उन्होंने उसे अनुभव किया हुआ है। इसलिए, वे जानते है कि कैसे दूसरों ने किसी परिस्थिति में व्यवहार और प्रतिक्रिया की है और इसलिए वे अधिक सटीकता के साथ बड़ी अधिक सीमा में भविष्यद्वाणी कर सकते है कि हम कैसे उन जैसी ही परिस्थितियों में व्यवहार कर सकते हैं।
हांलाकि उनके पास स्वंय की इच्छा है, परन्तु स्वर्गदूत भी सभी प्राणियों के समान, परमेश्वर की इच्छा के अधीन हैं। परमेश्वर के द्वारा भले स्वर्गदूतों को विश्वासीयों की सहायता के लिए भेजा जाता है (इबानियों 1:14)। यहाँ पर कुछ ऐसे कार्य हैं जिनका वर्णन बाइबल स्वर्गदूतों के सम्बन्ध में करती है: वे परमेश्वर की स्तुति करते हैं (भजन संहिता 148:1-2; यशायाह 6:3)। वे परमेश्वर की अराधना करते हैं (इब्रानियों 1:6; प्रकाशितवाक्य 5:8-13)। वे परमेश्वर के कार्यों से आनन्दित होते हैं (अय्यूब 38:6-7)। वे परमेश्वर की सेवा टहल करते हैं (भजन संहिता 103:20; प्रकाशितवाक्य 22:9)। वे परमेश्वर के सामने उपस्थित होते हैं (अय्यूब 1:6;2:1)। वे परमेश्वर के न्याय को संचालित किए जाने के लिए उपयोग किए जाते हैं (प्रकाशितवाक्य 7:1; 8:2)। वे प्रार्थनाओं के उत्तर लाते हैं (प्रेरितों के काम 12:5-10)। वे लोगों को मसीह के लिए जीतने मे सहायता करते हैं (प्रेरितों 8:26; 10:3)। वे मसीहियों की व्यवस्था, कार्य और कष्ट को देखते हैं (1 कुरिन्थियों 4:9; 11:10; इफिसियों 3:10; 1 पतरस 1:12)। वे खतरे के समय में उत्साहित करते हैं (प्रेरितों के काम 27:23-24)। वे धर्मियों की मृत्यु के समय उनकी देखभाल करते है (लूका 16:22)।
स्वर्गदूत मनुष्यों से पूरी तरह से अलग स्तर के प्राणी हैं। मनुष्य मरने के बाद स्वर्गदूत नहीं बन जाते हैं। स्वर्गदूत भी कभी मनुष्य नहीं बनेगें, और न कभी, मनुष्य थे। परमेश्वर ने ही स्वर्गदूतों की सृष्टि की, ठीक वैसे ही जैसे कि उसने मानवजाति को बनाया। बाइबल कहीं पर भी यह नहीं कहती है कि स्वर्गदूतों को मनुष्य की भांति परमेश्वर ने अपने स्परूप में सृजा है (उत्पत्ति 1:26)। स्वर्गदूत ऐसे आत्मिक प्राणी हैं जो कि कुछ सीमा तक भौतिक शरीरों के रूप को ले सकते हैं। मनुष्य मौलिक रूप से भौतिक प्राणी, परन्तु आत्मिक पहलु के साथ है। हम सबसे बड़ी चीज जो पवित्र स्वर्गदूतों से सीख सकते हैं वह यह है कि वे परमेश्वर की आज्ञाओं को बिना किसी प्रश्न के, शीघ्रता से पालन करना।
दुष्टात्माओं के बारे मे बाइबल क्या कहती है?
दुष्टात्माएँ गिराए हुए स्वर्गदूत हैं, जैसा कि प्रकाशितवाक्य 12:9 उल्लेख करता है कि, “तब वह बडा अजगर अर्थात् वही पुराना साँप जो इब्लीस और शैतान कहलाता है और सारे संसार का भरमाने वाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया, और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।" शैतान का स्वर्ग से गिराया जाना चिन्ह स्वरूप यशायाह 14:12-15 और यहेजकेल 28:12-15 में वर्णित किया गया है। अपने गिराए जाने के साथ, शैतान स्वर्गदूतों में से प्रकाशितवाक्य 12:4 के अनुसार एक तिहाई को – अपने साथ मिला ले आया जिन्होंने पाप किया था। यहूदा 6 उन स्वर्गदूतों का उल्लेख करता है जिन्होने पाप किया था। इस तरह से बाइबल के अनुसार, दुष्टात्माएँ गिराए गए स्वर्गदूत हैं जिन्होने, शैतान के साथ, परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह किया।
कुछ स्वर्गदूतों को पहले से ही उनके पाप के कारण "अन्धकार में, जो सदा काल के लिए है, बन्धनों में रखा" हुआ है (यहूदा 1:6)। जबकि अन्य घूमने फिरने के लिए स्वतन्त्र हैं और जिनका संकेत इफिसियों 6:11 (इसे कुलुस्सियों 2:15 के साथ मिला कर देखें) में इस संसार के अन्धकार के हाकिमों...दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से हैं जो आकाश में हैं। दुष्टात्माएँ अभी भी उनके अगुवों शैतान का अनुसरण पवित्र स्वर्गदूतों के विरुद्ध परमेश्वर की योजना को और परमेश्वर के लोगों को बाधा पहुँचा कर असफल करने के अपने प्रयास में युद्धरत् हैं।
आत्मिक प्राणी होने के नाते, दुष्टात्माओं के पास एक भौतिक शरीर में वास करने की योग्यता है। शैतानिक जकड़न उस समय प्रकट होता है जब एक व्यक्ति पूरी तरह से किसी एक दुष्टात्मा के नियन्त्रण में आ जाता है। यह परमेश्वर की सन्तान के साथ नहीं हो सकता है। क्योंकि पवित्र आत्मा मसीह में विश्वासियों के हृदयों मे वास करता है (1 यूहन्ना 4:4)।
अपनी पृथ्वी की सेवकाई के मध्य, यीशु, ने कई दुष्टात्माओं का सामना किया। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि, उनमें से किसी में भी मसीह जैसी सामर्थ्य नहीं थी: "वे उसके पास बहुत से लोगों को लाए जिनमें दुष्टात्माएँ थीं और उसने उन आत्माओं को अपने वचन से निकाल दिया" (मत्ती 8:16)। यीशु का दुष्ट आत्माओं के ऊपर अधिकार कई प्रमाणों में से एक था कि वह सचमुच परमेश्वर का पुत्र था (लूका 11:20)। वे दुष्टात्माएँ जिनका सामना यीशु के साथ हुआ जानती थी कि यीशु कौन था और वे उससे डरती थी: " हे परमेश्वर के पुत्र, हमारा तुझ से क्या कामॽ क्या तू समय से पहले हमें दुख देने आया है (मत्ती 8:29)। दुष्टात्माएँ अपने अन्त को जानती थी जो कि दुख से भरा होगा।
शैतान और उसकी दुष्टात्माएँ परमेश्वर के कार्य नाश करना और किसी को भी भरमाने की खोज मे रहती हैं (1 पतरस 5:8; 2 कुरिन्थियों 11:14-15)। दुष्टात्माओं को बुरी आत्माएँ (मत्ती 10:1), अशु़द्ध आत्माएँ (मरकूस 1:27), झूठी आत्माएँ (1 राजा 22:23), और शैतान के स्वर्गदूत (प्रकाशितवाक्य 12:9) भी कहा जाता है। शैतान और उसकी दुष्टात्माएँ संसार को भरमाती है (2 कुरिन्थियों 4:4), झूठी शिक्षाओं को फैलाती हैं (1 तिमुथियुस 4:1), मसीहियो पर आक्रमण करती हैं (2 कुरिन्थियों 12:7; 1 पतरस 5:8), और पवित्र स्वर्गदूतों के साथ युद्ध करता हैं (प्रकाशितवाक्य 12:4-9)।
दुष्टात्माएँ/गिरे हुए स्वर्गदूत परमेश्वर के शत्रु हैं, परन्तु वे हारे हुए शत्रु हैं। मसीह ने "प्रधानताओं और अधिकारों को ऊपर से उतार दिया" और "उनका खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया और कूस्र के द्वारा उन पर जयजयकार की ध्वनि सुनाई" (कुलुस्सियों 2:15)। जब हम स्वयं को परमेश्वर के अधीन और इब्लीस का विरोध करते हैं, तो हमें किसी का डर नहीं होना चाहिए। "क्योंकि जो तुम में है वह उस से जो संसार में है, बड़ा है" (1 यूहन्ना 4:4)।
शैतान कौन है?
लोगों की शैतान के प्रति मान्यताएँ बकवादी बातों से लेकर आलौलिक अमूर्त बातों में – एक लाल रंग वाला छोटा सा व्यक्ति जिसके सिर के ऊपर सींग लगे हैं जो आपके कंधों के ऊपर सवार रहते हुए आपको पाप करने के लिए उकसाता है, से लेकर, ऐसी अभिव्यक्तियों में प्रकट किए जाते हैं जिनका वर्णन बुराई के अवतार के लिए किया जाता है। परन्तु फिर भी, बाइबल, हमें एक स्पष्ट चित्र को प्रस्तुत करती है कि शैतान कौन है और कैसे वह हमारे जीवनों को प्रभावित करता हैॽ साधारण रूप में, बाइबल शैतान की परिभाषा एक ऐसे स्वर्गदूतीए प्राणी के रूप में देती है जो कि अपने दिए हुए पद से पाप के करने के कारण नीचे गिर गया और अब वह पूरी तरह से परमेश्वर के विरोध में रहते हुए, परमेश्वर के प्रयोजनों को असफल करने के लिए अपनी शाक्ति से प्रयासरत् है।
शैतान को एक पवित्र स्वर्गदूत के रूप में रचा गया था। यशायाह 14:12 संभवत: शैतान को गिरने से पहले लूसीफर का नाम देता है। यहेजकेल 28:12-14 उल्लेख करता है कि शैतान को एक करूब के रूप में रचा गया था, जो कि स्वर्गदूतों में सबसे उच्च प्राणी के रूप में दिखाई देता हुआ जान पड़ता है। वह अपनी सुन्दरता और पद के कारण घमण्ड से भर गया, और परमेश्वर से भी ऊँचे सिहांसन पर विराजमान होना चाहता था (यशायाह 14:13-14; यहेजकेल 28:15; 1तिमुथियुस 3:6)। शैतान का घमण्ड उसके पतन का कारण बना। यशायाह 14:12-15 में दिए हुए "मैं करूँगा" कथनों पर ध्यान दें। उसके पाप के कारण, परमेश्वर ने उसे स्वर्ग से निकाल दिया।
शैतान इस संसार का हाकिम और हवा की शाक्ति का राजकुमार बन गया (यूहन्ना 12:31; 2 कुरिन्थियों 4:4; इफिसियों 2:2)। वह दोष लगाने वाला है (प्रकाशितवाक्य 12:10), परीक्षा में डालने वाला है (मत्ती 4:3; 1 थिस्सलुनीकियों 3:5), और धोखा देने वाला है (उत्पत्ति 3; 2 कुरिन्थियों 4:4; प्रकाशितवाक्य 20:3)। उसका नाम ही "शत्रु" है या वह जो "विरोध करता" है। उसके एक और पद, इबलीस है, जिसका अर्थ "निन्दा करने वाला" है।"
हांलाकि उसे स्वर्ग से निकाल बाहर किया है, परन्तु वो अभी भी अपने सिहांसन को परमेश्वर से ऊपर लगाना चाहता है। जो कुछ परमेश्वर करता है उस सब की वो नकल, यह आशा करते हुए करता है कि वह संसार की अराधना को प्राप्त कर लेगा और परमेश्वर के राज्य के विरोध में लोगों को उत्साहित करता है। शैतान ही सभी तरह की झूठी शिक्षाओं और संसार के धर्मों के पीछे अन्तिम स्त्रोत है। शैतान परमेश्वर और परमेश्वर का अनुसरण करने वालों के विरोध में अपनी शाक्ति में कुछ और सब कुछ करेगा। परन्तु फिर भी, शैतान का गंतव्य – आग की झील में अनन्तकाल के लिए डाल दिए जाने के द्वारा मुहरबन्द कर दिया गया है (प्रकाशितवाक्य 20:10)।
बाइबल दुष्टात्मा से जकडे होने/शैतानिक जकड़न के विषय मे क्या कहती है? क्या ये आज सम्भव है? यदि ऐसा है तो, इसके क्या लक्षण हैं?
बाइबल दुष्टात्मा से जकडे और प्रभवित लोगों के कुछ उदाहरण देती है। इन उदाहरणों से दुष्टात्मा से प्रभावित होने के कुछ लक्षण मिल सकते है और हम यह अंर्तदृष्टि को पा सकते है कि कैसे एक दुष्टात्मा किसी को अपने अधीन करती है। यहाँ बाइबल से कुछ संदर्भ दिए गए हैं (मत्ती 9:32-33; 12:22; 17:18; मरकुस 5:1-20; 7:26-30; लूका 4:33-36; 22:3; प्रेरितों के काम 16:16-18। इन में से कुछ संदर्भों में दुष्टात्मा से जकडे होने पर बोलने मे असमर्थ होना, मिर्गी के लक्षण, अन्धापन आदि का होना मिलता है। अन्य घटनाओ में, यह किसी व्यक्ति को बुरा करने के लिए प्रभावित करता है, यहूदा इसका मुख्य उदाहरण है। प्रेरितों के काम 16:12-18, ऐसा जान पड़ता है कि आत्मा ने एक दासी को अपने सीखे हुए ज्ञान से अधिक जानने की क्षमता दी हुई थी। गिरासेनियों का दुष्टात्मा-से-जकडा हुआ व्यक्ति, जिसे बहुत सी दुष्टात्माओं (सेना) ने जकडा हुआ था, के पास असाधारण शाक्ति थी और वह कब्रों में नंगा रहता था। राजा शाऊल, परमेश्वर के विरूद विद्रोह करने के बाद, दुष्टात्मा के द्वारा तंग किया गया। (1 शमूएल 16:14-15; 18:10-11, 19:5-10) प्रभावस्वरूप से वह तनाव में रहने लगा और दाउद को मारने की उसकी इच्छा बढती चली गई।
इस तरह, दुष्टात्मा से जकडे होने के कई प्रकार के सम्भावित लक्षण हैं जैसे कि शारीरिक क्षति जिसे किसी वास्तविक मनोवैज्ञानिक समस्या के साथ नही जोड़ सकते हैं, व्यक्तित्व में बदलाव जैसे की उदासी या आक्रमकता, असाधारण शाक्ति, निर्लज्जता, असमाजिक व्यवहार और सम्भवत: ऐसी जानकारी होने की योग्यता होना, जिसे कोई प्राकृतिक तरीके से नहीं जान सकता है। इस पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि लगभग इन सब लक्षणों के, यदि सभी के सभी नहीं तौ भी, इन गुणों के अन्य कारण भी हो सकते है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हर एक उदास व्यक्ति या मिर्गी से जकडे हुए व्यक्ति को दुष्टात्मा से जकडे हुए होने से नही जोड़ना चाहिए। दूसरी तरफ, पश्चिमी संस्कृति में लोगों द्वारा अपने जीवनों में शैतान के दखल को पर्याप्त गम्भीरता से नहीं लिया जाता है।
इन शारीरिक और भावनात्मक भिन्नताओं के अतिरिक्त, कोई दुष्टात्मा से प्रभावित होने के आत्मिक गुणों को भी देख सकता है जो शैतानिक प्रभाव के होने को दिखाते हैं। इन में क्षमा करने से इन्कार करना (2 कुरिन्थियों 2:10-11) और झूठी शिक्षाओं मे विश्वास और इन्हें बढ़ावा देना, विशेषकर यीशु मसीह और उसके प्रायश्चित के कार्य के विषय में (2 कुरिन्थियों 11:3-4, 13-15; 1 तीमुथियुस 4:1-5; यूहन्ना 4:1-3)।
मसीहियों के जीवनों मे दुष्टात्मा के दखल के विषय में, प्रेरित पतरस इस सच्चाई का एक उदाहरण है कि एक विश्वासी दुष्टात्मा से प्रभावित हो सकता है (मत्ती 16:23)। कुछ लोग ऐसे मसीहियों को जो बहुत अधिक दुष्टात्मा के प्रभाव मे होते हैं "दुष्टात्मा से जकडे" हुए होने का संकेत देते हैं, परन्तु पवित्रशास्त्र मे कहीं भी ऐसा उदाहरण नही मिलता है कि मसीह में विश्वासी दुष्टात्मा से जकडें हो। पवित्रशास्त्र के अधिकतर धर्मविद्वान यह विश्वास करते है कि एक मसीही दुष्टात्मा से जकडा हुआ नही हो सकता है क्योंकि उसके भीतर पवित्रआत्मा वास करता है (2 कुरिन्थियों 1:22; 5:5; 1 कुरिन्थियों 6:19), और परमेश्वर का आत्मा किसी दुष्टात्मा के साथ अपने निवास को सांझा नही करेगा।
हमें स्पष्टता से नही बताया गया है कि कोई कैसे दुष्टात्मा से जकडे जाने के लिए स्वयं को दे देता है। यदि यहूदा की घटना इसको दर्शाती है, तो उसने अपना हृदय बुराई के लिए खोला था - उस की घटना में लालच के कारण (यूहन्ना 12:6)। यह सम्भव हो सकता है कि यदि कोई अपने हृदय को किसी आदतन पाप में नियन्त्रिण होने के लिए दे देता है, तो यह दुष्टात्मा को आने के लिए निमन्त्रण बन जाता है। प्रचारकों के अनुभवों से, दुष्टात्मा की अधीनता में आना मूर्तिपूजा से और कोई तान्त्रिक विद्या सामग्रियों को रखे होने से भी सम्बन्धित होना जान पड़ता है। पवित्रशास्त्र बार-बार मूर्तिपूजा को दुष्टात्मा की उपासना से सम्बन्धित करता है (लैव्यवस्था 17:7; व्यवस्थाविवरण 17:7; भजन संहिता 106:37; 1 कुरिन्थियों 10:20), इसलिए यह आश्चर्य की बात नही कि मूर्तिपूजा करने से दुष्टात्मा के जकड़न की ओर ले जाता है।
उपरोक्त पवित्रशास्त्रीए संदर्भों के ऊपर आधारित और प्रचारकों के कुछ अनुभवों के आधार पर, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बहुत से लोग पापों में लिप्त होकर या तन्त्रिक बातों मे ध्यान लगा कर (जाने या अनजाने में) अपने जीवनों को दुष्टात्मा की दखल के लिए खोल देते है। इन उदाहरणों में अनैतिकता, नशाखोरी/शराब के सेवन से दुर्व्यवहार जो किसी की चेतना में परिवर्तन ले आता है, विद्रोह, कडवाहट और भावतीत चिन्तन सम्मिलित हैं।
कुछ लोग तान्त्रिक विद्या और शैतानिक कार्यों के प्रति एक हानिकारक आकर्षण उत्पन्न कर लेते है। यह समझदारी और बाइबल के अनुसार बात नहीं है। यदि हम परमेश्वर के पीछे चलते हैं, यदि हम अपने आपको उसकी सामर्थ्य के ऊपर निर्भर रहते हुए और उसके हथियारों के वस्त्र को धारण करते हैं (इफिसियों 6:10-18), तो हमें उस दुष्ट से किसी तरह का कोई डर नहीं है, क्योंकि परमेश्वर सब पर राज्य करता है!
11 फिर मैं ने स्वर्ग को खुला हुआ देखा; और देखता हूं कि एक श्वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्वास योग्य, और सत्य कहलाता है; और वह धर्म के साथ न्याय और लड़ाई करता है।
12 उस की आंखे आग की ज्वाला हैं: और उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट हैं; और उसका एक नाम लिखा है, जिस उस को छोड़ और कोई नहीं जानता।
13 और वह लोहू से छिड़का हुआ वस्त्र पहिने है: और उसका नाम परमेश्वर का वचन है
(यीशु /भगवान का बेटा)।
14 और स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़ों पर सवार और श्वेत और शुद्ध मलमल पहिने हुए उसके पीछे पीछे है।
15 और जाति जाति को मारने के लिये उसके मुंह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुंड में दाख रौंदेगा।
16 और उसके वस्त्र और जांघ पर यह नाम लिखा है, राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु॥
19 प्रकाशित वाक्य
अध्याय 20
1 फिर मै ने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा; जिस के हाथ में अथाह कुंड की कुंजी, और एक बड़ी जंजीर थी।
2 और उस ने उस अजगर, अर्थात पुराने सांप को, जो इब्लीस और शैतान है; पकड़ के हजार वर्ष के लिये बान्ध दिया।
3 और उसे अथाह कुंड में डाल कर बन्द कर दिया और उस पर मुहर कर दी, कि वह हजार वर्ष के पूरे होने तक जाति जाति के लोगों को फिर न भरमाए; इस के बाद अवश्य है, कि थोड़ी देर के लिये फिर खोला जाए॥
4 फिर मैं ने सिंहासन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उन को न्याय करने का अधिकार दिया गया; और उन की आत्माओं को भी देखा, जिन के सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण काटे गए थे; और जिन्हों ने न उस पशु की, और न उस की मूरत की पूजा की थी, और न उस की छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी; वे जीवित हो कर मसीह के साथ हजार वर्ष तक राज्य करते रहे।
5 और जब तक ये हजार वर्ष पूरे न हुए तक तक शेष मरे हुए न जी उठे; यह तो पहिला मृत्कोत्थान है।
6 धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहिले पुनरुत्थान का भागी है, ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे॥
7 और जब हजार वर्ष पूरे हो चुकेंगे; तो शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा।
8 और उन जातियों को जो पृथ्वी के चारों ओर होंगी, अर्थात गोग और मगोग को जिन की गिनती समुद्र की बालू के बराबर होगी, भरमा कर लड़ाई के लिये इकट्ठे करने को निकलेगा।
9 और वे सारी पृथ्वी पर फैल जाएंगी; और पवित्र लोगों की छावनी और प्रिय नगर को घेर लेंगी: और आग स्वर्ग से उतर कर उन्हें भस्म करेगी।
10 और उन का भरमाने वाला शैतान आग और गन्धक की उस झील में, जिस में वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा, और वे रात दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे॥
11 फिर मैं ने एक बड़ा श्वेत सिंहासन और उस को जो उस पर बैठा हुआ है, देखा, जिस के साम्हने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उन के लिये जगह न मिली।
12 फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के साम्हने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात जीवन की पुस्तक; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया।
13 और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया।
14 और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।
15 और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया॥
अध्याय 21
1 फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा।
2 फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हिन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो।
3 फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा।
4 और वह उन की आंखोंसे सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।
5 और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उस ने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं।
6 फिर उस ने मुझ से कहा, ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अलफा और ओमिगा, आदि और अन्त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा।
7 जो जय पाए, वही इन वस्तुओं का वारिस होगा; और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा।
8 पर डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों, और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्धक से जलती रहती है: यह दूसरी मृत्यु है॥
9 फिर जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात पिछली विपत्तियों से भरे हुए सात कटोरे थे, उन में से एक मेरे पास आया, और मेरे साथ बातें कर के कहा; इधर आ: मैं तुझे दुल्हिन अर्थात मेम्ने की पत्नी दिखाऊंगा।
10 और वह मुझे आत्मा में, एक बड़े और ऊंचे पहाड़ पर ले गया, और पवित्र नगर यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते दिखाया।
11 परमेश्वर की महिमा उस में थी, ओर उस की ज्योति बहुत ही बहुमूल्य पत्थर, अर्थात बिल्लौर के समान यशब की नाईं स्वच्छ थी।
12 और उस की शहरपनाह बड़ी ऊंची थी, और उसके बारह फाटक और फाटकों पर बारह स्वर्गदूत थे; और उन पर इस्त्राएलियों के बारह गोत्रों के नाम लिखे थे।
13 पूर्व की ओर तीन फाटक, उत्तर की ओर तीन फाटक, दक्खिन की ओर तीन फाटक, और पश्चिम की ओर तीन फाटक थे।
14 और नगर की शहरपनाह की बारह नेवें थीं, और उन पर मेम्ने के बारह प्रेरितों के बारह नाम लिखे थे।
15 और जो मेरे साथ बातें कर रहा था, उसके पास नगर, और उसके फाटकों और उस की शहरपनाह को नापने के लिये एक सोने का गज था।
16 और वह नगर चौकोर बसा हुआ था और उस की लम्बाई चौड़ाई के बराबर थी, और उस ने उस गज से नगर को नापा, तो साढ़े सात सौ कोस का निकला: उस की लम्बाई, और चौड़ाई, और ऊंचाई बराबर थी।
17 और उस ने उस की शहरपनाह को मनुष्य के, अर्थात स्वर्गदूत के नाप से नापा, तो एक सौ चौवालीस हाथ निकली।
18 और उस की शहरपनाह की जुड़ाई यशब की थी, और नगर ऐसे चोखे सोने का था, जा स्वच्छ कांच के समान हो।
19 और उस नगर की नेवें हर प्रकार के बहुमूल्य पत्थरों से संवारी हुई तीं, पहिली नेव यशब की थी, दूसरी नीलमणि की, तीसरी लालड़ी की, चौथी मरकत की।
20 पांचवीं गोमेदक की, छठवीं माणिक्य की, सातवीं पीतमणि की, आठवीं पेरोज की, नवीं पुखराज की, दसवीं लहसनिए की, ग्यारहवीं धूम्रकान्त की, बारहवीं याकूत की।
21 और बारहों फाटक, बारह मोतियों के थे; एक एक फाटक, एक एक मोती का बना था; और नगर की सड़क स्वच्छ कांच के समान चोखे सोने की थी।
22 और मैं ने उस में कोई मंदिर न देखा, क्योंकि सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, और मेम्ना उसका मंदिर हैं।
23 और उस नगर में सूर्य और चान्द के उजाले का प्रयोजन नहीं, क्योंकि परमेश्वर के तेज से उस में उजाला हो रहा है, और मेम्ना उसका दीपक है।
24 और जाति जाति के लोग उस की ज्योति में चले फिरेंगे, और पृथ्वी के राजा अपने अपने तेज का सामान उस में लाएंगे।
25 और उसके फाटक दिन को कभी बन्द न होंगे, और रात वहां न होगी।
26 और लोग जाति जाति के तेज और विभव का सामान उस में लाएंगे।
27 और उस में कोई अपवित्र वस्तु था घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़ने वाला, किसी रीति से प्रवेश न करेगा; पर केवल वे लोग जिन के नाम मेम्ने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं॥
अध्याय 22
1 फिर उस ने मुझे बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की एक नदी दिखाई, जो परमेश्वर और मेंम्ने के सिंहासन से निकल कर उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी।
2 और नदी के इस पार; और उस पार, जीवन का पेड़ था: उस में बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस पेड़ के पत्तों से जाति जाति के लोग चंगे होते थे।
3 और फिर श्राप न होगा और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा, और उसके दास उस की सेवा करेंगे।
4 और उसका मुंह देखेंगे, और उसका नाम उन के माथों पर लिखा हुआ होगा।
5 और फिर रात न होगी, और उन्हें दीपक और सूर्य के उजियाले का प्रयोजन न होगा, क्योंकि प्रभु परमेश्वर उन्हें उजियाला देगा: और वे युगानुयुग राज्य करेंगे॥
6 फिर उस ने मुझ से कहा, ये बातें विश्वास के योग्य, और सत्य हैं, और प्रभु ने जो भविष्यद्वक्ताओं की आत्माओं का परमेश्वर है, अपने स्वर्गदूत को इसलिये भेजा, कि अपने दासों को वे बातें जिन का शीघ्र पूरा होना अवश्य है दिखाए।
7 देख, मैं शीघ्र आने वाला हूं; धन्य है वह, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें मानता है॥
8 मैं वही यूहन्ना हूं, जो ये बातें सुनता, और देखता था; और जब मैं ने सुना, और देखा, तो जो स्वर्गदूत मुझे ये बातें दिखाता था, मैं उसके पांवों पर दण्डवत करने के लिये गिर पड़ा।
9 और उस ने मुझ से कहा, देख, ऐसा मत कर; क्योंकि मैं तेरा और तेरे भाई भविष्यद्वक्ताओं और इस पुस्तक की बातों के मानने वालों का संगी दास हूं; परमेश्वर ही को दण्डवत कर॥
10 फिर उस ने मुझ से कहा, इस पुस्तक की भविष्यद्ववाणी की बातों को बन्द मत कर; क्योंकि समय निकट है॥
11 जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है, वह मलिन बना रहे; और जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है, वह पवित्र बना रहे।
12 देख, मैं शीघ्र आने वाला हूं; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है।
13 मैं अलफा और ओमिगा, पहिला और पिछला, आदि और अन्त हूं।
14 धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के पेड़ के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे।
15 पर कुत्ते, और टोन्हें, और व्यभिचारी, और हत्यारे और मूर्तिपूजक, और हर एक झूठ का चाहने वाला, और गढ़ने वाला बाहर रहेगा॥
16 मुझ यीशु ने अपने स्वर्गदूत को इसलिये भेजा, कि तुम्हारे आगे कलीसियाओं के विषय में इन बातों की गवाही दे: मैं दाऊद का मूल, और वंश, और भोर का चमकता हुआ तारा हूं॥
17 और आत्मा, और दुल्हिन दोनों कहती हैं, आ; और सुनने वाला भी कहे, कि आ; और जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले॥
18 मैं हर एक को जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं, कि यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए, तो परमेश्वर उन विपत्तियों को जो इस पुस्तक में लिखीं हैं, उस पर बढ़ाएगा।
19 और यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के पेड़ और पवित्र नगर में से जिस की चर्चा इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा॥
20 जो इन बातों की गवाही देता है, वह यह कहता है, हां शीघ्र आने वाला हूं। आमीन। हे प्रभु यीशु आ॥
21 प्रभु यीशु का अनुग्रह पवित्र लोगों के साथ रहे। आमीन॥
परमेश्वर का मेमना
दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, “देखो, यह परमेश्वर का मेमना है जो जगत के पाप उठा ले जाता है.” (यूहन्ना १:२९).
जब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को देखा तो वो पुकार उठा, “देखो, यह परमेश्वर का मेमना है जो जगत के पाप उठा ले जाता है.” (यूहन्ना १:२९). उन दिनों की यहूदी परंपरा में, हरकोई आसानी से समझ सकता था कि यूहन्ना क्या कह रहा है. कॉमेंट्री की कोई जरूरत नही थी. हर सुबह और शाम लोगों के पापों के लिए एक मेमना वध किया जाता, बलिदान किया जाता था. जब यूहन्ना में यीशु को परमेश्वर का मेमना कहा, वो परमेश्वर की पवित्रता और प्रेम के बारे में कह रहा था. ये दोनों यीशु के मुख्य स्वभावगुण थे.
यीशु परमेश्वर का बलिदान था. वो परमेश्वर द्वारा दिया गया मेमना था कि उन लोगों के पापों को मिटाए जो उस पर विश्वास करनेवाले थे. यीशु को जो नाम दिया गया था उसके द्वारा हम मसीह के अद्भुत स्वभाव का भेद जान सकते हैं. वो पूरा परमेश्वर था और फिर भी पूरा मनुष्य था. वो परमेश्वर-मनुष्य था. मत्ती यीशु को राजा के रूप में प्रकट करता है, जब कि मरकुस उसे दास के रूप में बताता है. सच में, यीशु राजा था जो दास बन गया. यूहन्ना का सुसमाचार यीशु को परमेश्वर का पुत्र बताता है जब कि लूका का सुसमाचार उसे मनुष्य का पुत्र बताता है. वो परमेश्वर था जो मनुष्य बन गया.
परमेश्वर पवित्र है और कोई भी अपवित्र चीज़ या मनुष्य उसकी उपस्थति में नही आ सकता है. वो पूरी शुद्धता है. पाप, हमें पूरे पवित्र परमेश्वर से अलग करता है. उसकी पवित्रता और न्याय इस बात की मांग करते हैं कि हमारे पापों के लिए बलिदान चढाना होगा. इसी लिए यहूदी लोगों को हररोज बलिदान चढाने पढते थे. लेकिन परमेश्वर ने, अपने असीम प्रेम में, खुद को दे दिया ताकि हमारे पाप – एक बार और सदा के लिए – क्षमा किए जाएँ और हमारे दिल और जीवन से मिटा दिए जाएँ.
यीशु की गर्भधारणा पवित्र आत्मा से हुई और उसका जन्म कुंवारी स्त्री के द्वारा हुआ. इसलिए, उसका जीवन इस पृथ्वी पर सबसे अद्भुत था. वो सच में, “परमेश्वर का पुत्र” था और “मनुष्य का पुत्र” था. इस पृथ्वी पर यीशु जैसे को मनुष्य नही है – परमेश्वर-मनुष्य. अपने ईश्वरत्व में उसने परमेश्वर का स्वभाव और चरित्र प्रकट किया. अपनी मानवता में, उसने हमे प्रेम करना सिखाया. इसलिए, वो ही परमेश्वर और मनुष्य के बीच मध्यस्थ था और है. केवल यीशु ही अपनी मानवता में, संसार के पापों के लिए मर सकता था.
यीशु ही हमारे पापों के लिए बलिदान था. उसे “परमेश्वर का मेमना” कहा गया. यीशु को ये नाम यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा दिया गया, जो हमे यीशु के जीवन के अर्थ की एक झलक देता है. यीशु इस संसार में केवल एक कारण के लिए आया – की हमारे पापों के लिए मारा जाएँ. हम जिस दंड के योग्य थे उसने वो खुद पर लिया. हमारे पापों के लिए वो परमेश्वर का प्रयोजन है. वो ऐसा मेमना है जो जगत के पाप उठा लिए जाता है. वो सामर्थी परमेश्वर है जिसने नम्रता, दीनता और शुद्धता पहनी है. वो इस्राएल का पवित्र है. वो परमेश्वर और मनुष्य के बीच हमारा मध्यस्थ है.
बाइबल बताती है की मेमना अपने सिंहासन पर विराजमान है. एक महान दिन बड़ी भीड़ जो हर देश, जाती और समूह के लोगों की होगी, वो इस मेमने के सामने झुककर उसकी आराधना करेगी. यूहन्ना अपनी लिखी प्रकाशितवाक्य की किताब में इस के बारे में बताता है, “इसके बाद मैंने दृष्टि की, और देखो, हर एक जाति और कुल और लोग और भाषा में से एक ऐसी भीड़, जिसे कोई गिन नही सकता था, श्वेत वस्त्र पहिने और अपने हाथों में खजूर की डालियाँ लिए हुए सिंहासन के और मेमने के सामने खड़ी हैं. और बड़े शब्द से पुकारकर कहती है, “उद्धार के लिए हमारे परमेश्वर का, जो सिंहासन पर बैठा है, और मेमने का जय-जयकार हो” (प्रकाशितवाक्य ७:९-१०)
ओ, वो दिन कितना अद्भुत होगा. जब आप ये समझ लेंगे कि यीशु - परमेश्वर का मेमना – कौन है, आप का दिल आनंद से भर जाएगा. वो ही हमारे पाप उठा लिए जाता है. उसी ने अपना जीवन हमारे लिए दे दिया है. वो सर्वसामर्थी परमेश्वर है जो संसार के पाप उठा लिए जाता है. हालेलुयाह! हमें मेमने की आराधना करने के लिए, स्वर्ग में जाने की राह नही देखनी है. आज हम उसकी आराधना कर सकते है. क्यों न आज आप परमेश्वर के और मेमने के सिंहासन के सामने कुछ समय ये बताने में बिताएँ कि आप उससे कितना प्यार करते हैं.
1 पूर्व युग में परमेश्वर ने बाप दादों से थोड़ा थोड़ा करके और भांति भांति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कर के।
2 इन दिनों के अन्त में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उस ने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उस ने सारी सृष्टि रची है।
3 वह उस की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊंचे स्थानों पर महामहिमन के दाहिने जा बैठा।
4 और स्वर्गदूतों से उतना ही उत्तम ठहरा, जितना उस ने उन से बड़े पद का वारिस होकर उत्तम नाम पाया।
5 क्योंकि स्वर्गदूतों में से उस ने कब किसी से कहा, कि तू मेरा पुत्र है, आज तू मुझ से उत्पन्न हुआ? और फिर यह, कि मैं उसका पिता हूंगा, और वह मेरा पुत्र होगा?
6 और जब पहिलौठे को जगत में फिर लाता है, तो कहता है, कि परमेश्वर के सब स्वर्गदूत उसे दण्डवत करें।
7 और स्वर्गदूतों के विषय में यह कहता है, कि वह अपने दूतों को पवन, और अपने सेवकों को धधकती आग बनाता है।
8 परन्तु पुत्र से कहता है, कि हे परमेश्वर तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा: तेरे राज्य का राजदण्ड न्याय का राजदण्ड है।
9 तू ने धर्म से प्रेम और अधर्म से बैर रखा; इस कारण परमेश्वर तेरे परमेश्वर ने तेरे साथियों से बढ़कर हर्ष रूपी तेल से तुझे अभिषेक किया।
10 और यह कि, हे प्रभु, आदि में तू ने पृथ्वी की नेव डाली, और स्वर्ग तेरे हाथों की कारीगरी है।
11 वे तो नाश हो जाएंगे; परन्तु तू बना रहेगा: और वे सब वस्त्र की नाईं पुराने हो जाएंगे।
12 और तू उन्हें चादर की नाईं लपेटेगा, और वे वस्त्र की नाईं बदल जाएंगे: पर तू वही है और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।
13 और स्वर्गदूतों में से उसने किस से कब कहा, कि तू मेरे दाहिने बैठ, जब कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों के नीचे की पीढ़ी न कर दूं?
14 क्या वे सब सेवा टहल करने वाली आत्माएं नहीं; जो उद्धार पाने वालों के लिये सेवा करने को भेजी जाती हैं?
इब्रानियों 1
1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।
2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था।
3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई।
4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी।
5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया।
14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।
यूहन्ना 1
5 जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो।
6 जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
8 और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
9 इस कारण परमेश्वर ने उस को अति महान भी किया, और उस को वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है॥
फिलिप्पियों 2
13 यदि मरे हुओं का पुनरुत्थान ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा।
14 और यदि मसीह भी नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है।
15 वरन हम परमेश्वर के झूठे गवाह ठहरे; क्योंकि हम ने परमेश्वर के विषय में यह गवाही दी कि उस ने मसीह को जिला दिया यद्यपि नहीं जिलाया, यदि मरे हुए नहीं जी उठते।
16 और यदि मुर्दे नहीं जी उठते, तो मसीह भी नहीं जी उठा।
17 और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है; और तुम अब तक अपने पापों में फंसे हो।
18 वरन जो मसीह मे सो गए हैं, वे भी नाश हुए।
19 यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं॥
20 परन्तु सचमुच मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उन में पहिला फल हुआ।
21 क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई; तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया।
22 और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे।
23 परन्तु हर एक अपनी अपनी बारी से; पहिला फल मसीह; फिर मसीह के आने पर उसके लोग।
24 इस के बाद अन्त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ का अन्त करके राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा।
25 क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पांवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है।
26 सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।
27 क्योंकि परमेश्वर ने सब कुछ उसके पांवों तले कर दिया है, परन्तु जब वह कहता है कि सब कुछ उसके आधीन कर दिया गया है तो प्रत्यक्ष है, कि जिस ने सब कुछ उसके आधीन कर दिया, वह आप अलग रहा।
28 और जब सब कुछ उसके आधीन हो जाएगा, तो पुत्र आप भी उसके आधीन हो जाएगा जिस ने सब कुछ उसके आधीन कर दिया; ताकि सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो॥
1 कुरिन्थियों 15
यीशु ने स्पष्ट रूप से और परमेश्वर होने के इन्कार न किए जाने वाले दावों को किया है।
8 प्रभु परमेश्वर वह जो है, और जो था, और जो आने वाला है; जो सर्वशक्तिमान है: यह कहता है, कि मैं ही अल्फा और ओमेगा हूं॥
18 मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास हैं।
प्रकाशित वाक्य 1
16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
17 परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।
18 जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।
19 और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उन के काम बुरे थे।
20 क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए।
21 परन्तु जो सच्चाई पर चलता है वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों, कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं।
35 पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उस ने सब वस्तुएं उसके हाथ में दे दी हैं।
36 जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है॥
यूहन्ना 3
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