बंगाल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के विवादित बयान के बीच, बंगाल में ‘शाह’ मात का खेल
झारखंड और दिल्ली विधानसभा का चुनाव हारने के बाद बीजेपी के रणनीतिकारों ने आगे की तैयारी करनी शुरु कर दी है।
झारखंड और दिल्ली विधानसभा का चुनाव हारने के बाद बीजेपी के रणनीतिकारों ने आगे की तैयारी करनी शुरु कर दी है। 2021 में यानी कि अगले साल पश्चिम बंगाल में विधान सभा का चुनाव होना है। ऐसे में बीजेपी लगातार पश्चिम बंगाल में अपनी जमीन को मजबूत करने में लगी हुई है।
लेकिन हाल ही में आए दिल्ली विधानसभा के नतीजों ने पार्टी की किरकिरी कर दी है। दिल्ली का चुनावी दंगल हारने के बाद जब गृहमंत्री अमित शाह ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार का कारण हो सकता है।
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गृहमंत्री शाह के बयान के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने ये कह कर पार्टी के लिए मुसीबत पैदा कर दिया कि दिल्ली के शाहीन बाग और कोलकाता के पार्क सर्कस में बैठे आंदोलनकारी अशिक्षित और निरक्षर हैं।
दिलीप घोष यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि ये प्रदर्शनकारी बिरियानी के लालच में आंदोलन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी निरक्षर हैं, अशिक्षित हैं जो आर्थिक और शैक्षिक स्तर पर पिछड़े हुए हैं।
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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दिलीप घोष का ये बयान बंगाल के सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। जिसपे बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी भड़की हुई है
दीदी ममता लगातार सीएए और एनआरसी पर मोदी सरकार को बंगाल में घेरने की कोशिश कर रही हैं अभी हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता गए थे तो ममता बनर्जी ने पीएम मोदी से मुलाकात कर सीएए और एनआरसी पर चर्चा की थी।
तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आप दिल्ली आइए वहां बात होगी।
2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 42 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में पार्टी को विश्वास हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी बंगाल में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी।
ममता के मुसलमानों के प्रति प्यार और मुहर्रम पर मरहम और दुर्गापूजा पर बेरहमी विचार की धार तो सब ने देखा है जिसका फायदा बीजेपी जोर-शोर से उठा रही है।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने अपने मंसूबों को और धार दिया हैं ऐसे में देखना अब दिलचल्प होगा कि आखिरकार झारखंड और दिल्ली विधानसभा का चुनाव हारने के बाद बीजेपी बंगाल में आगे क्या रणनीति अपनाती हैं।