हनुमान जी ने जब लंका में आग लगाई तो जगह पर आग नहीं लगाई। एक स्थान अशोक वाटिका था और दूसरा विभिषण का घर। जिससे साफ प्रतीत होता है कि क्रोध करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन उस पर भी एक नियंत्रण होना बेहद ही जरूरी है।
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